लालच छोड़ दो - subh sanskar and sanskriti
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Thursday, January 18, 2018

लालच छोड़ दो


कहते है लालच एक ऐसा दलदल है अगर आप इसमे एक बार फस गये तो निकल पाना बहुत ही कठिन होता है कहते है जितना मिले उसमे ही संतोष कर लेना चाहिए लेकिन धन की ऐसी भूख होती है जो कभी खत्म नही होती है | ये कहानी इसी बारे में है |

एक व्यापारी थे जिनका नाम रामनाथ था उनके पास सब कुछ था वो जब भी कोई व्यापार करते तो अपने गुरु से सलाह लेकर ही काम करते थे एक बार रामनाथ के पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा इस बार आप कपड़े का धंधा क्यों नही करते इस धंधे से आपको लाखो का फायदा होगा ये बोलकर वह उनके पास से चला गया अब रामनाथ ने सोचना शुरू कर दिया यदि मैं कपड़े का व्यवसाय कर लेता हूँ तो मुझे बहुत सारा धन मिलेगा |

रामनाथ ने अपने गुरु के पास जाकर ये सब सारी बातें उन्हे बतायी और पूछा गुरु जी आप ही मुझे बताइये क्या ये काम करना उचित होगा तब रामनाथ को गुरु जी ने बोला तुम अभी घर चले जाओ इस प्रश्न का उत्तर मैं तुम्हे कल दूंगा और रामनाथ वहा से सीधे अपने घर को चले गये | रात हो गयी रामनाथ को नींद कहा थी उन्हे तो सिर्फ चारो तरफ धन ही दिखाई पड़ रहा था सोचते सोचते रात गुजर गयी और रामनाथ अपने गुरु के पास जा पहुंचे |

गुरु ने उन्हे बैठने के लिये कहा अब रामनाथ को अपना उत्तर मिलने वाला था गुरु जी ने रामनाथ से कहा मैं चाहता हूँ तुम कपड़े का व्यापार मत करो क्योंकि वैसे भी तुम्हारे पास ईश्वर का दिया हुआ सब कुछ है जो भी है उसी में खुश रहो रामनाथ को ये बात सुनकर बहुत ही दुख हुआ और उसने अपने गुरु से कहा इस व्यापार से तो मुझे लाखो का फायदा होगा फिर गुरु जी ने ये उत्तर दिया देखो रामनाथ तुम्हारे मन में जो लालच है उसने तुम्हे व्याकुल कर रखा है इस लिये तुम उचित नही सोच पा रहे हो |

रामनाथ को ये बात अच्छी न लगी और वहा से वो उठकर फिर से अपने घर को चल दिया रामनाथ को मन ही मन अपने गुरु के ऊपर बहुत ही गुस्सा आ रहा था उसने ये सोचा की गुरु जी के पास मुझे नही जाना चाहिये था ये मेरी बहुत ही बड़ी भूल थी जो मैं गुरु जी के पास गया आख़िर कार रामनाथ ने अपने गुरु की बात नही सुनी और कपड़े का व्यवसाय शुरू कर दिया कपड़े का व्यवसाय शुरू करते ही उसे काफी नुकसान होना शुरू हो गया और एक दिन ऐसा आया की उसकी सारी पूँजी डूब गयी जो उसने कपड़े का व्यवसाय शुरू करने में लगाया था |

अब रामनाथ को ये बात समझ में आयी किसी के कहने पर अगर व्यवसाय में इतना ही फायदा होता तो वो व्यक्ति भी वही व्यवसाय करता मुझे वो इस व्यवसाय के बारे में क्यों बताता गुरु की बात न मानकर जो मैने भूल की ये उसी का परिणाम है अतः हमे कभी भी लालच नही करना चाहिये और अपने से बड़े की बात हमेशा मानना चाहिये |


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