Bhagavaan Ke Prati Lagan - भगवान के प्रति लगन - subh sanskar and sanskriti
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Saturday, January 27, 2018

Bhagavaan Ke Prati Lagan - भगवान के प्रति लगन


एक आदमी था वह हमेशा ही भगवान के भजन में लगा रहता था | उसके दो भाई और थे जो सारा दिन काम करते और जब घर को आते तो देखते उनका भाई जिसे उन लोगो ने घर का काम दिया है उसने घर का कोई भी काम नही किया है सिर्फ भगवान का नाम ले रहा है और भगवान का भजन कर रहा है ऐसे ही जब वो दोनों भाई काम करके घर को आते तो उसे भजन करते हुए देखते |

ऐसे ही समय बीतता गया लेकिन उसमे भगवान के प्रति लगन बढ़ती ही गयी | एक दिन उसके दोनों भाई उस पर गुस्सा हो गये और उसे बोला सिर्फ भगवान के भजन और उनके नाम लेने से हर काम नही हो सकता क्या तुम भगवान का भजन करके और उनका नाम लेकर अपना हर काम कर सकते हो उस आदमी को अपने भाइयों की वह बात बहुत ही गलत लगी |

एक दिन वह अपने भाइयों के पास गया और कहने लगा जब मैं भगवान का भजन करता हूँ तो तुम दोनों को बहुत ही दुख होता है मैने निश्चय किया है मैं घर को त्याग कर साधु बन जाऊंगा और भगवान का भजन करता रहूंगा अतः अब मैं यहाँ से जा रहा हूँ | यह बोल कर वह अपने घर से निकल गया अब वह भगवान का भजन करता और भिक्षा मांग कर अपना पेट भरता |

एक दिन वह भिक्षा मांगने एक गांव में गया जब वह गांव में भिक्षा मांग रहा था तो उसे एक किसान मिला उसने आदमी से कहा तुम अभी नवजवान हो और तुम काम करके भी अपना पेट भर सकते हो मुफ्त की रोटी मांग कर खाते हो ऐसा करने से तुम्हारा भजन भी भगवान तक नही पहुंचेगा और तुम्हारे द्वारा किया गया नेक काम भी तुम्हारे लिये अभिशाप बन जायेगा |

यह सुनकर आदमी ने किसान से पूछा भाई मेरा और किसी काम में मन नही लगता मैने तो अपना घर भी त्याग दिया है अब तुम ही बताओ मैं कौन सा काम करू किसान ने उत्तर दिया मेरा एक अमरुद का बगीचा है तुम मेरे साथ चलो और उस बगीचे में रहकर उसकी देखभाल किया करो और खाली समय में भगवान का भजन किया करो इससे तुम्हारे रोटी और कपड़े का इंतजाम भी हो जायेगा |

आदमी ने किसान की बात मान ली अब वह बगीचे में रहकर उसकी देखभाल करता और खाली समय में भगवान का भजन करता जब अमरुद पककर तैयार हो गये तो किसान एक दिन बगीचे में आया और आदमी से बोला जाओ और मेरे लिये पके हुए मीठे अमरुद लेकर आओ आदमी पेड पर गया और कुछ पके हुए अमरुद लेकर किसान के पास आया |

किसान ने जब अमरुद खाया तो वह अमरुद मीठे नही थे और इस बात को लेकर वह गुस्सा हो गया किसान ने आदमी को कहा तुमको इतना दिन हो गया इस बगीचे में और तुम्हे मीठे फल की पहचान नही है यह सुनकर आदमी ने कहा मैने आज तक इस बगीचे का फल नही खाया सिर्फ इसकी देखभाल की है यह सुनकर किसान को बहुत ख़ुशी मिली |

उसने आदमी से कहा तुम सच में भगवान के भक्त हो अब तुम भगवान का भजन करो और मैं तुम्हे इसके बदले में रोटी और कपडा दूँगा अब बगीचे की देखभाल किसी और को सौप दिया जायेगा यह सुनकर उस आदमी ने किसान से कहा अब आप मेरे पुराने मालिक नही रहे जिन्होने मुझे शिक्षा दी थी मुफ्त की रोटी कभी नही खानी चाहिए इसलिए मेरा यहाँ से चला जाना ही ठीक होगा |

यह बोलकर वह व्यक्ति कही चला गया और फिर कभी भी उस गांव में लौटकर नही आया | 
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