बेटी की शादी - Baite Ke Shadi - subh sanskar and sanskriti
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Wednesday, January 17, 2018

बेटी की शादी - Baite Ke Shadi


एक पंडित जी थे वे महाज्ञानी थे परन्तु गरीबी में जीवन गुजारते थे उनको जो भी मिलता उसी में वे संतोष कर लेते थे और कभी भी वो अपनी गरीबी के बारे में किसी से भी नही कहते थे | पंडित जी को कोई संतान नही थी बस पंडित जी और उनकी पत्नी थी | गरीबी से परेशान उनकी पत्नी हमेशा उनको समझाती थी आप इतने घरो में पूजा कराने के लिये जाते है आप उन सभी से कुछ मांगते क्यों नही तब पंडित जी ने अपनी पत्नी को उत्तर दिया मैं किसी से कुछ मांग नही सकता क्योंकि जितना मेरे भाग्य मे है उतना ही मुझे मिलेगा तुम व्यर्थ की चिंता मत करो क्योंकि भगवान की इच्छा से जो भी हमे मिलता है वही हम दोनों के लिये बहुत है |


एक समय की बात है गांव में एक परिवार रहता था जो की बहुत ही धनवान था उनको भी कोई संतान नही थी लेकिन बहुत समय बीत जाने के बाद उनके यहाँ पुत्र हुआ | उन्होने पूजा संपन्न कराने के लिये पंडित जी को बुलावा भेजा क्योंकि वे जानते थे की पंडित जी महाज्ञानी है लेकिन वे गरीबी में जीवन यापन कर रहे है | पंडित जी उनके घर को गये और उन्होंने पूजा संपन्न करवाई पूजा संपन्न होने के बाद उस परिवार ने पंडित जी को वस्त्र,धन और अनाज से भरी हुई एक बैलगाड़ी दी |

ये बात पंडित जी की पत्नी को पता लग गयी और वे बड़ी ही खुश हुई और मन ही मन सोचने लगी की अब हमारी गरीबी दूर हो जायेगी लेकिन बहुत रात हो गयी पंडित जी घर नही पहुंचे अचानक पंडित जी आते हुए दिखे लेकिन उनके पास कोई बैलगाड़ी नही थी हाथ में सिर्फ एक पोटली थी बस ये देख कर उनकी पत्नी को बहुत ही आश्चर्य हुआ और उन्होने पंडित जी से पूछा मैने तो सुना था आप को बैलगाड़ी भरकर सामान मिला है क्या मैने ये गलत सुना है तब पंडित जी बोले जो तुमने सुना है वह सत्य है |

लेकिन मैने ये सारा सामान बेटी की शादी में दे दिया अब उनकी पत्नी को और भी हैरानी हुई कि हमारे तो कोई सन्तान ही नही थी आप किस बेटी की बात कर रहे है तब पंडित जी ने पूरी बात विस्तार से बताई मैं बैलगाड़ी लेकर सीधे घर को चला आ रहा था रास्ते में कुछ लोग बात कर रहे थे एक गरीब की बेटी की शादी है पर वहां पर अभी तक किसी भी सामान का प्रबंध नही है बारात आने वाली है अगर उनके खाने पीने का इंतजाम नही हुआ तो वो लोग गुस्सा हो कर वापस लौट जायेंगे |

जब मैने ये बात सूनी तो मुझसे रहा नही गया और मैं वहा जाकर उस बेटी को सारा सामान दे दिया मैने ये सोचा की घर आकर तुमसे एक बार पूछ लू लेकिन बारात वहा पर आ गयी थी और मुहर्त का समय निकला जा रहा था बस उस बेटी की शादी सम्पन्न कराकर सीधा घर को चला आ रहा हूँ | उनकी पत्नी को पंडित जी का त्याग देखकर बड़ी ही हैरानी हुई | 
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