सहयोग करना सीखें - subh sanskar and sanskriti
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Friday, January 19, 2018

सहयोग करना सीखें


 सहयोग शब्द एक ऐसा शब्द है जिससे हर व्यक्ति परिचित होता है क्योंकि सहयोग के बिना हमारा जीवन अधूरा है | सहयोग दो प्रकार के होते है पहला या तो हम किसी को सहयोग देते है | दूसरा या फिर हम किसी से सहयोग लेते है | हम जिस समाज में रहते है यहाँ पर हमे अच्छी शिक्षा के साथ - साथ सहयोग करना भी सिखाया जाता है इसलिए हम सहयोग शब्द से इतनी भली भाती परिचित होते है | बचपन से ही हम सहयोग करना सीखते है और जब तक हम इस संसार में रहते है | तब तक सहयोग लेते या देते रहते है

सहयोग एक ऐसी कुंजी है जिसके सहारे हम कोई भी काम बड़ी आसानी से कर लेते है | इस संसार में कोई ऐसा व्यक्ति नही है जो आगे बढ़ने के लिये किसी न किसी व्यक्ति का सहयोग न लिया हो | जब हम छोटे होते है तो हमारी माँ और हमारे पिता हमारा सहयोग करते है क्योंकि उनके सहयोग के बगैर हम खड़े भी नही हो सकते और ये चक्र ऐसे ही चलता रहता है

जब हम और बड़े होते है तो माँ के सहयोग से खाना पीना यहाँ तक सोना भी उनके सहयोग के बगैर नही प्राप्त कर सकते हम सब को ये पता है शिक्षा ही वह विद्या है जिसे ग्रहण करना हर व्यक्ति के लिये आवश्यक है | क्योंकि इस शिक्षा से हम शिक्षित होते है और इस समाज में हम अपनी शिक्षा के सहारे और अपने आचरण के सहारे पर जाने जाते है

इस शिक्षा को भी प्राप्त करने के लिये हमे गुरु के सहयोग की आवश्यकता होती है जब हमारे गुरु हमारा सहयोग करते है तब हम शिक्षा ग्रहण कर पाते है और अपने गुरु के सहयोग से अपने जीवन के शिखर पर पहुंच जाते है बात हमारे बचपन की हो या बड़े होने की हो सहयोग से ही हम अपना सफर पूरा करते है जब हम पूर्ण रूप से शिक्षित हो जाते है और फिर कही पर काम करना शुरू कर देते है और उस काम को भी सीखने के लिये हमे किसी व्यक्ति की आवश्यकता होती है

और हम उस व्यक्ति के सहयोग के सहारे उस काम को करना सीखते है और फिर उस काम को सीखकर अपने द्वारा किसी और को वो काम सिखाते हैं जब हमारे घर में कोई पूजा पाठ होता है तो उस पूजा और पाठ को संपन्न कराने के लिये भी पंडित जी का सहयोग लेना पड़ता है

सहयोग लेकर या सहयोग देकर हम इस संसार में आगे बढ़ सकते है इसलिये सहयोग देना और लेना भी हमारी जिंदगी का जरूरी हिस्सा होता है | 
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