Prakrti Ko Samajhen - प्रकृति को समझें - subh sanskar and sanskriti
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Monday, January 22, 2018

Prakrti Ko Samajhen - प्रकृति को समझें


आध्यात्म के साथ-साथ हमें प्रकृति पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि अगर प्रकृति ही न रही तो आध्यात्म कहा से होगा यह एक गहन चिंतन का विषय है जिसे हम अनदेखा नही कर सकते |

हम जानते है जब तक बच्चे अपने माता और पिता का कहना मानते है तब तक उनके माता और पिता उनको प्यार और दुलार करते है लेकिन जब बच्चे अत्यधिक नटखट हो जाते है और गलतियाँ अधिक करना शुरू कर देते है तो उनके माता और पिता उन्हे समझाते है अगर समझाने पर भी बात नही बनती तो उन्हे दंड देकर उन्हे सुधारने की कोशिश करते है |

प्रकृति भी हमारी माँ है और आज हमारे पास जो कुछ भी है वह प्रकृति का ही दिया हुआ है | चाहे यह शरीर हो , चाहे यह भूमि हो, घर हो, कपड़े हो,दवा हो यह रोज मर्रा में आने वाली कोई भी वस्तु हो ये सब प्रकृति का ही दिया हुआ है जो मनुष्य अपने उपयोग में ला रहा है | भोजन से लेकर मनुष्य के मानसिक विकास में प्रकृति अपनी अहम् भूमिका निभाती है |

हम जिस पर गर्व करते है या जिस पर भी अभिमान करते है यह भी प्रकृति की ही देन है अगर प्रकृति से प्राप्त चीजों का सही मात्रा में उपयोग किया जाय तो प्रकृति का संतुलन कभी भी खराब नहीं होगा अगर प्रकृति के साथ हमारा संतुलन बराबर बना रहे तो प्रकृति की देन से  मानव का विकास परस्पर होता रहेगा और उसको सुख समृद्धि की प्राप्ती  होती रहेगी |

मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जिसे अच्छे और गलत के बारे में सबकुछ पता रहता है फिर भी वो ऐसा काम करने के लिये व्याकुल रहता है जिससे प्रकृति को भारी नुक्सान उठाना पड़ता है और जब प्रकृति को इसका नुक्सान उठाना पड़ता है तो हम मनुष्यों को भी प्रकृति के साथ साथ इसका नुक्सान उठाना पड़ता है | आज हमारे सामने बहुत से ऐसे उदहारण है जिससे हमे सीख लेने की आवश्यकता है |

आज प्रकृति की ही देन है जिस साधन का हम उपयोग अपने चलने के लिये या एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचने के लिये करते है उस साधन में जो हम ऊर्जा का उपयोग करते है ये भी हमें प्रकृति ने दिया है लेकिन इसी साधन का हम इतनी तेजी से उपयोग कर रहे है जिससे हमे कई समस्याएं का सामना करना पड़ रहा है | जैसे की वायु प्रदूषण ये समस्या अब एक गंभीर रूप ले चुकी है |

इसके  साथ साथ हम प्रकृति से प्राप्त ऊर्जा का भंडार भी बहुत तेजी के साथ खत्म कर रहे है क्या ऐसा करना उचित है बिल्कुल नहीं हम हमेशा अपने आने वाली पीढ़ी की बात करते है हमेशा ही उनकी सुख समृद्धि होने का सपना देखते है लेकिन हम ये भूल जाते है अगर प्रकृति का संतुलन बना रहा तभी ये सब संभव होगा और हमारी आने वाली पीढ़ी भी इस सुख समृद्धि का लाभ उठा पायेगी |

आइये हम संकल्प करे प्रकृति जो की हमारी माँ है हम इसका सही रूप से ध्यान रखेंगे जिससे हमारे साथ साथ विश्व का भी कल्याण होगा देश चाहे जैसे हों विचारधारा चाहे जैसी हो हम हमेशा एक है और हमेशा एक रहेंगे |



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