Buddhi Ka Varadaan - बुद्धि का वरदान - subh sanskar and sanskriti
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Friday, January 19, 2018

Buddhi Ka Varadaan - बुद्धि का वरदान


एक गांव में दो भाई रहते थे जब वो छोटे थे तभी उनके माँ और पिता की मृत्यु हो गयी थी | उन दोनों को उनके मामा ने पाल पोष कर बड़ा किया अब वो भी वृद्ध हो चुके थे उनकी भी आर्थिक स्थित इतनी अच्छी नही थी की वे उन दोनों को सारी सुख सुविधा दे सके उनका घर एक छोटी सी झोपड़ी थी फिर भी वे दोनो भाई बहुत ही प्रसन्न रहते थे सारा दिन मेहनत और मजदूरी करने के बाद भी उन्हे भरपेट खाना नही प्राप्त होता था लेकिन इसमे भी वो लोग खुश रहते थे |

एक दिन एक महत्मा उनके झोपड़ी के पास से गुजर रहे थे और उन्होने ये देखा की इन दोनों भाइयों के पास कुछ भी ढंग का नही है न तो पेट भर खाना है न रहने के लिये घर है न ही पहनने के लिये ढंग के कपड़े है फिर भी ये दोनों इतना खुश है और इनको किसी भी बात की चिंता नही है ये सब देख कर महत्मा को बहुत ही दया आयी और उन्होने उन दोनों से कहा मैं तुम लोगो को देखकर हैरान हूँ तुम लोगो के पास कुछ भी नही है फिर भी तुम दोनों इतना खुश हो |

तुम दोनों की एकता,प्रेम भाव और एक दूसरे के प्रति ईमानदारी को देख कर मेरा मन प्रसन्न हो गया तुम लोग मुझसे कोई भी वरदान मांग सकते हो मांगो क्या चाहिये उन दोनों भाइयों ने आपस में विचार विमर्श किया और फिर महात्मा को उत्तर दिया अगर आप हम दोनों से इतना ही प्रसन्न है तो हमे ज्ञान और बुद्धि का वरदान दीजिये | अब महत्मा को बहुत ही आश्चर्य हुआ और उन्होने अपने मन में ये सोचा कि मैने इन दोनों को वरदान मांगने के लिये कहा लेकिन इन्होने न तो धन मांगा और न ही वैभव इन्होने मांगा भी तो ज्ञान और बुद्धि का वरदान महत्मा तो ही विदवान थे उन्होंने उन दोनों को ज्ञान और बुद्धि का वरदान दिया और वहा से चले गये

बुद्धि और ज्ञान से ही धन और वैभव प्राप्त होता है और देखते ही देखते उन दोनों को अपनी बुद्धि और ज्ञान से वो सारी सुख सुविधा प्राप्त हो गयी | 
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