दुख से कैसे बचा जाय - subh sanskar and sanskriti
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Thursday, January 18, 2018

दुख से कैसे बचा जाय


इंसान के जीवन का एक सत्य दुख भी है | लेकिन कभी भी वह नही चाहता की उसको कभी जीवन में दुख का सामना करना पड़े दुख से ही हमे कुछ सीखने को मिलता है क्योंकि ख़ुशी मिलने पर हमारा कभी दुख की तरफ ध्यान नही जाता है | दुख से बचने का एक ही तरीका है आप किसी भी परिस्थिति में हो लेकिन अपने स्वाभाव को कभी भी ना बदले क्योंकि इंसान को उसके स्वाभाव से ही जाना जाता है अगर हमारा स्वाभाव बदल जाता है तो दुख हमे चारो तरफ से मिलना शुरू हो जाता है दुख में हमेशा यही भावना रखना चाहिये | हे ईश्वर मैं आपकी किसी भी बात पर कभी आपत्ति नहीं करूँगा |

हमारी जिंदगी में बहुत से ऐसे मुकाम आते है जब हम भगवान को दोष देना शुरू कर देते है | यही हमारी सबसे बड़ी गलती होती है हमे कभी भी किसी परिस्थित में भगवान को दोष नहीं देना चाहिये | भगवान हमे कभी भी कोई काम करने पर मना नही करते | दुख चाहे कितना भी हो लेकिन हमे हमेशा खुश रहने का प्रयास करना चाहिये क्योंकि दुख में हमेशा हमे मानसिक परेशानी उठानी पड़ती है | दुख को अपने ऊपर कभी भी हावी नहीं होने देना चाहिए कभी कभी ऐसा होता है हम दुख में रहते है और किसी बात को लेकर परेशान हो जाते है क्या उससे हमारा दुख कम हो जाता है हमे हर परिस्थित में अच्छाई ग्रहण करने की कोशिश करनी चाहिये हमे हर दुख में साथ मिलकर ईश्वर को याद करके उस दुख का सामना करना चाहिये | 

क्योंकि मात्र ईश्वर ही है जो हमे हर दुख से बचाते है दुख तो आता है पर उसे एक न एक दिन जाना ही पड़ता है क्योंकि यही संसार का नियम है लेकिन अगर हम दुख में किसी को कुछ कह देते है तो अपने साथ उसको भी दुखी कर देते है इसलिये हमे हमेशा दुख में शांति और विवेक से काम लेना चाहिए | 

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