Mahashivratri Kee Vrat katha - महाशिवरात्रि की व्रत कथा - subh sanskar and sanskriti
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Tuesday, February 13, 2018

Mahashivratri Kee Vrat katha - महाशिवरात्रि की व्रत कथा


दोस्तों आज 13 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व है | महाशिवरात्रि के विषय में विद्वानों का मत अलग-अलग है कुछ विद्वान मानते है इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था , कुछ विद्वान मानते है इस दिन समुन्द्र मंथन से विष निकला था जिसे भगवान शिव ने सृष्टि को नष्ट होने से बचाने लिये विष को अपने कंठ में रख लिया |

महाशिवरात्रि के पर्व से सम्बंधित एक कथा है जो की बहुत ही प्रचलित है एक शिकारी था वह शिकार करके अपने परिवार का पालन पोषण करता था एक दिन वह शिकार पर गया और वह पूरा दिन शिकार की तलाश में इधर उधर भटकता रहा पर उसे कोई भी शिकार न मिला शाम हो चली लेकिन अभी भी उसके हाथ कोई भी शिकार न लगा उसे अपने परिवार की चिंता हो रही थी |

क्योंकि उसका परिवार भूँखा था आख़िरकार उसने रात्रि में शिकार करने का निश्चय किया वही पर एक तालाब था जहा से शिकारी ने पानी लिया और निकट एक बेल के वृक्ष पर चढ़ गया काफी समय बीत गया लेकिन उसको कोई शिकार न दिखाई दिया जिससे वह और भी चिंतित हो गया वही वृक्ष के नीचे भगवान का शिवलिंग था जो की पत्तियों से ढका हुआ था |

शिकारी चिंता में वृक्ष से पत्तिया तोड़कर नीचे गिरा रहा था और वह पत्तियां शिवलिंग पर जाकर गिर रही थी और शिकारी के पास जो पानी था उसमे से पानी की कुछ बूंदे भी शिवलिंग पर गिर रही थी इस प्रकार से रात्रि बीत रही थी संयोग से उस दिन महाशिवरात्रि थी जिससे शिकारी अनजाने में व्रत रह गया कुछ देर के बाद वहा तालाब के पास एक हिरणी पानी पीने के लिये आयी वह गर्भवती थी |

शिकारी ने जैसे ही हिरणी को देखा वैसे ही अपने धनुष पर बाण को चढ़ाकर खींचने लगा जैसे ही वह बाण को छोड़ने चला वैसे ही उस हिरणी ने शिकारी को देख लिया और उसे कहा मुझे मत मारो मैं गर्भवती हूँ तुम मुझे मरोगे साथ ही मेरे होने वाले बच्चे को भी मार डालोगे |

कृपया मुझे जाने दो मैं कुछ ही देर में अपने बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास चली आउंगी और फिर तुम मुझे मार देना यह सुनकर शिकारी को उस हिरणी पर दया आ गयी और शिकारी ने उसे जाने दिया | और फिर से पत्तियां तोड़कर पेड़ से नीचे फेकने लगा और कुछ देर के बाद वहा पर उसे एक हिरण आता हुआ दिखाई दिया यह देखकर उसने धनुष को उठाया |

शिकारी ने इस बार निश्चय कर लिया की वह यह शिकार करके रहेगा लेकिन हिरण ने उसे देख लिया और शिकारी से न मारने की प्रार्थना करने लगा और कहा मुझे जाने दो मेरी पत्नी गर्भवती है और वह बच्चे को जन्म देने वाली है जैसे ही वह बच्चे को जन्म देगी वैसे ही मै तुम्हारे पास वापस चला आऊंगा और तुम मेरा शिकार कर लेना हिरण की यह बात सुनकर शिकारी ने उसे जाने दिया

अब सुबह हुई और कुछ ही देर बाद हिरन हिरणी और उसका बच्चा शिकारी को आते हुए दिखाई दिये और हिरण के परिवार की एकता को देखकर शिकारी को बहुत ही दुख हुआ और कुछ ही देर बाद वहा पर भगवान शिव प्रकट हुए और शिकारी को सुख और समृद्धि का वरदान देकर वहा से चले गये इस प्रकार शिकारी का जीवन सफल हुआ |

अब आइये हम और आप भगवान शिव के बारह प्रमुख ज्योतिर्लिंग के बारे में जाने | 

  1. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
  2. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
  3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
  4. ॐकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
  5. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
  6. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
  7. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
  8. त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
  9. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
  10. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
  11. घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग
  12. बैजनाथ ज्योतिर्लिंग



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