एक बार एक व्यक्ति काम की तलाश में शहर गया वहा पर बहुत दिनों तक भटकने के बाद भी उसे ढंग का काम नही मिला काफी तलाश के बाद उसे एक छोटा सा काम मिला लेकिन उस काम से उसे इतने पैसे नही मिलते थे जिससे वह अपने पेट भी भर सके जहा पर वह व्यक्ति काम करता था वही नजदीक पर माता का एक मंदिर था वह व्यक्ति अपना काम शुरू करने से पहले माता के मंदिर में जाकर उनका दर्शन करता |
उस मंदिर में शहर के बड़े बड़े सेठ और साहूकार भी माता के दर्शन को आते थे एक दिन मंदिर में उसकी मुलाकात एक सेठ से हुई और वह व्यक्ति बड़ी विनम्रता पूर्वक सेठ से आग्रह किया कि सेठ जी अगर आप के यहाँ कोइ काम हो तो मुझे बतायें क्योंकि मैं इस शहर में काम की तलाश में आया हूँ अभी मैं यहाँ पर छोटा सा काम कर रहा हूँ जिससे मुझे इतने भी पैसे नही मिलते की मैं अपना पेट भर सकू |
व्यक्ति की इस बात को सुनकर सेठ को दया आयी और सेठ ने कहा भाई अभी मेरे यहाँ कोई काम तो नही है लेकिन मैं तुम्हे कुछ रुपये देता हूँ जिससे तुम अपना काम शुरू कर सकते हो और सेठ ने उस व्यक्ति को पांच सौ रुपया दे दिया यह देखकर व्यक्ति की आंखों मैं आंशू आ गया और वह सोचने लगा इस रुपये से मैं कौन सा व्यापार शुरू करू जिससे मैं सेठ जी के रुपये लौटा सकू |
काफी विचार विमर्श के बाद व्यक्ति ने फल बेचने का काम शुरू किया और धीरे धीरे व्यक्ति का व्यापार बढ़ने लगा एक दिन वह सेठ भी उसकी दुकान पर आया और फल खरीदने लगा सेठ को ये पता नहीं था ये उस व्यक्ति की दुकान है जिसको उसने काम शुरू करने के लिये पांच सौ रुपया दिया था जब सेठ ने फल ले लिया और जाने लगा तो वह व्यक्ति सेठ के पास आया और कहने लगा |
सेठ जी मैं वही व्यक्ति हो जिसको आप ने काम शुरू करने के लिये रुपये दिये थे अगर सेठ जी उस दिन आप मुझे कोई काम दे देते तो मैं आज अपना खुद का कोई काम ना शुरू कर पाता आप ने पैसे देकर मेरा आत्म विश्वास को जगाया और मुझे एक नया काम शुरू करने की प्रेरणा दी |
व्यक्ति की ये बात सुनकर सेठ को बड़ी ही प्रसन्ता हुई दोस्तों भगवान पर भरोसा हो खुद पर यकीन हो और कोई अच्छा मार्ग दिखाने वाला हो तो व्यक्ति का काम अपने आप ही आसान हो जाता है |