Aadhaar Aur Saphalata आधार और सफलता - subh sanskar and sanskriti
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Thursday, January 11, 2018

Aadhaar Aur Saphalata आधार और सफलता


इंसान की क्षमता और योग्यता से उसके ज्ञान और गौरव का लेखा जोखा लिया जाता है | परन्तु यह भुला दिया जाता है की व्यक्ति सिर्फ बड़ा ही नही बहुत छोटा भी है | वह शरीर मात्र से सबकुछ नही करता जब उसका शरीर चैतन्य होता है तब जाकर वह कुछ काम कर पाता है अगर इंसान का शरीर चैतन्य नही होगा तब वह सिर्फ सांस ही ले सकता है और थोड़ा बहुत कुछ काम कर सकता है अगर हमे कुछ बड़ा काम करना है तो हमें चैतन्य होना ही पड़ेगा | हमारा मन सिर्फ विचार करता है जो हमारी अकांक्षाओ के अनुरूप होता है | मनुष्य का अधिकांश जीवन ऐसी कल्पना करने मे बीत जाता है | मनुष्य चाहता तो बहुत है लेकिन वह सबकुछ नही पा सकता है और इस नही पाने की स्थित में मनुष्य का मनोबल गिरता है हम समझते है हमारी किस्मत हमारा साथ नही दे रही है,हमारी परिस्थितिया हमारे अनुकूल नही हो रही हैं इससे यह समझ में आता है की ईश्वर की इच्छा प्रतिकूल होती है | ऐसी दशा में मनुष्य को बुद्धि, संभव-असंभव ,उचित या अनुचित का निष्कर्ष निकालने का अवसर कैसे मिले जब तक यह निश्चय न हो जाये की क्या कब और कैसे किया जाना चाहिए मन पर बुद्धि का नियंत्रण रहना चाहिये कल्पनाये करने से पहले बुद्धि का आदेश प्राप्त करना चाहिये की असंभव अनावशयक कल्पनाये करने का तुक है भी यह नही |
कर्म करने की शुरुवात हमेशा कल्पना से ही होती है इसलिए विचार का प्रत्येक कण ऐसे प्रयोजन में होना चाहिये जिससे किसी भी परिस्थित में कार्य हमेशा किया जा सके आम तौर से कार्य की सुविधा एवं सफलता की बात हमेशा सोची जाती है यह भुला दिया जाता है की लक्ष्य तक पहुंचने के लिये कितना साजो सामान जुटाना पड़ेगा और किन समस्याओ और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा | यदि पक्ष और विपक्ष की सुविधायें,कठिनाइयों का चिंतन कर लिया जाये तो यह संभव है की ठोकर खाने पर पछताने की जरूरत न पड़े | उत्साह और साहस की हर काम में आवश्यकता पड़ती है इसके बिना मनुष्य छोटे मोटे कामो को भी सही ढंग से नही कर सकता बिजली के बगैर बल्ब नही जलती इसी तरह उत्साह के बिना शरीर भी निर्धारित क्रिया कलाप नही कर सकता अन्तः प्रेरणा ही सभी गतिविधियों की अग्रामी बनाती है | अन्तः प्रेरणा का लक्ष्य निर्धारण कुछ भी क्यों न हो पर उन्हे कार्य करने के लिये जिस क्षमता एवं कुशलता की आवश्यकता होती है वह ढृंढ़ निश्चय के आधार पर गतिशील होती है  ढृंढ़ निश्चय और साहस का मिलना ही मनोबल कहलाता है यह कुशल नाविक की तरह समस्याओं के भार से लदी हुई नौका को खींच कर किनारे लगा देता है | 
साहसी व्यक्ति समस्यायों को सामने खड़ा देखकर घबराता नही अतः सूझ - बूझ के साथ शांत मन के साथ उसका समाधान निकालता है और समाधान निकालने वाला व्यक्ति इसे प्राप्त भी कर लेता है | कठिनाईया भी सुविधाओं की तरह जीवन में आने के लिये बनी हैं इनमें से एक को भी पूरी तरह कभी भी हटाया नही जा सकता पर समझदारी के सहारे उनको सही राह पर ले चलने का उपाय अपनाया जा सकता है और इस प्रकार आधार और सफलता को पाया जा सकता है |  
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