तेजस्वी व्यक्ति समाज को अपने ओर आकर्षित करते हैं शक्तिपूर्ण मनोबल के सहारे और ये हमेशा श्रेयस्कर मार्ग अपनाते है चाहे इनका कोई साथी सहायक हो या न हो ये हमेशा औचित्य के पक्षधर मार्ग पर अकेले ही चल पड़ते है लेकिन यह विलक्षण प्रतिभाओ के लिये ही संभव है | जन साधारण की ऐसी मनोभूमि नही होती वे अपने इर्द गिर्द जो कुछ होता देखते है उसी का सहज अनुकरण करने लगते है भले ही वह सही हो या न हो चाहे उसका जो भी परिणाम हो | अनुकरण प्रियता जनसामान्य का स्वभाव है इसी आधार पर वह बोलता चालता है और इसी का अभ्यास बनाता है | मनुष्य में सीखने की अपार क्षमता होती है पर यह निष्कर्ष निकाल सकना कि वह जिस रास्ते पर चल रहा है वह कितना सही है या कितना गलत हम सभी जिस प्रवृति के व्यक्ति के साथ रहते है उसी का समर्थन भी करते है |
हमारे विचार भी इसी आधार पर बनते है जो भिन्नता को उचित होने पर भी स्वीकार नही करते इस कठिनाई से निपटने के लिये यह आवश्यक है की सामाजिक मान्यताओं और अपनी गतविधियों का निरक्षण किया जाये उन्हे सामाजिक उपयोगता की कसौटी पर जाँचा परखा जाये अगर यह सही कसौटी पर खरा न उतरे तो इसे समझ पूर्वक बदल दिया जाय इसी नीति को अपनाने में ही हमारी भलाई है अगर हम इस नीति को नही अपनाते है तो हम सच से दूर हटते चले जायेंगे और समय के अनुरूप पक्षधर नीति अपनाने में कभी भी सफल नही होंगे हमलोगों की सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि आवांछनीय प्रचलनों से छुटकारा पाने के लिये अच्छे राजहंसों जैसी नीर क्षीर विवेक वाली नीति को अपनाया जाय यह विचार क्रांति की पृस्ठभूमि है |
सत्य और तथ्य के निकट इसी आधार को अपनाकर आगे बढ़ा जा सकता है | प्रगति की दिशा में मनुष्य अनादिकाल से बढ़ता ही रहा है यह अपने पिछले कदम को उठाता है और आगे ही बढ़ता रहा है सिखाने की नीति ही मनुष्य को जीव जगत का सर्वेश्रेष्ठ प्राणी बना रही है भावी प्रगति की सम्भावना इसी तथ्य को अपनाते हुये टिकी हुई है वैज्ञानिक शोधों में इसी तथ्य को अपनाने वाले नये नये अविष्कार इसी निति से कर सके हैं |
सबसे अच्छी चुनाव की नीति हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनायी जाती रही है उच्च पदाधिकारियों की नियुक्ति कड़े आधार पर होती है | खेलों में जीतने वाले को ही पुरस्कार मिलता है | पुरानी बातों को करके अपना गौरव बनाये रखने का आधार नही मिलता तो विचारों और प्रचलन के सम्बन्ध में यही आधार क्यों नही अपनाया जाता है |
सत्य और तथ्य के निकट इसी आधार को अपनाकर आगे बढ़ा जा सकता है | प्रगति की दिशा में मनुष्य अनादिकाल से बढ़ता ही रहा है यह अपने पिछले कदम को उठाता है और आगे ही बढ़ता रहा है सिखाने की नीति ही मनुष्य को जीव जगत का सर्वेश्रेष्ठ प्राणी बना रही है भावी प्रगति की सम्भावना इसी तथ्य को अपनाते हुये टिकी हुई है वैज्ञानिक शोधों में इसी तथ्य को अपनाने वाले नये नये अविष्कार इसी निति से कर सके हैं |
सबसे अच्छी चुनाव की नीति हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनायी जाती रही है उच्च पदाधिकारियों की नियुक्ति कड़े आधार पर होती है | खेलों में जीतने वाले को ही पुरस्कार मिलता है | पुरानी बातों को करके अपना गौरव बनाये रखने का आधार नही मिलता तो विचारों और प्रचलन के सम्बन्ध में यही आधार क्यों नही अपनाया जाता है |