Amooly Maanav Jeevan ( अमूल्य मानव जीवन ) - subh sanskar and sanskriti
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Tuesday, January 9, 2018

Amooly Maanav Jeevan ( अमूल्य मानव जीवन )


नैसर्गिक क्रियाए तो सभी प्राणियों में पायी जाती है | परन्तु विचार एवं चिंता की विशेषता मानव मे ही पायी जाती है | उचित-अनुचित,न्याय अन्याय हित अनहित लोक परलोक आदि के निर्णय करने एवं कर्म के परिणामो को समझने की शक्ति मानव में ही पायी जाती है |
जीव सदा माया के वश में काल,स्वभाव एवं गुणों से घिरा हुआ विचरण करता रहता है | संसार सागर में मनुष्य शरीर जहाज के तुल्य है | और प्रभु की कृपा ही अनुरूप वायु है | अच्छा गुण ही इसका खेवनहार है | ऐसे साधन को जीव सहज ही पा गया है जिसके सहारे वह इस भवसागर को पार कर सकता है | यानी मोक्ष प्राप्त कर सकता है | यह साधन का धाम और मोक्ष का दरवाज़ा है | इसको पाकर भी जिसने परलोक नही सुधारा वह परलोक में भी दुख भोगता है और काल, कर्म और ईश्वर को झूठा दोष लगाता है और स्वम ही पछताता रहता है |



यह संसार अपनी विविधताओं के सहारे हमे आकर्षित करता है और यही हमारे सांसारिक बंधनो का कारण है बुद्धि और विचार के सहारे ही इससे बचा जा सकता है | कर्म ज्ञान और उपासना के मेल से ही मानव जीवन पूर्णतः संभव है | मानव जीवन पाकर पशुओं की भाती उदर पोषण और लोकेषणावो में ही लिप्त रहना ही मानव जीवन की सार्थकता नहीं है | मानवीय गुणों और शुद्ध आचरण के सहारे ही हमारी गति होनी चाहिये और तभी हम सम्मान के योग्य बनते है |
अमूल्य मानव जीवन को सर्वोपरि कसौटी चरित्रबल है | चरित्रबल से आत्मबल बढ़ता है और यही बल मानव को बलवान बनाता है | जो उसकी अमूल्य निधि है तभी तो कहा जाता है चरित्र के नष्ट होने पर पूरा जीवन ही नष्ट हो जाता है चरित्रबल और आत्मबल के प्रति जागरूक होकर लोक और परलोक दोनों का मार्ग पाया जा सकता है मनुष्य अपने अच्छे आचरण से अच्छा और अपने गलत आचरण से गलत बन जाता है | यह उसके विवेक पर निर्भर करता है की वह मनुष्य का जीवन पाकर खुद सुख में हो और दूसरो को भी सुखी करे |
यदि इस लोक और परलोक में भी सुख की कामना चाहते है तो प्रभु की भक्ति सहेज और सुखदायक मार्ग है | भक्ति स्वतंत्र है और सभी सुखो की खान है | परन्तु बिना सतसंग के मानव उसे पा नही सकता | अतः हमे अमूल्य मानव जीवन पाकर धर्म का पालन करते हुये सेवा,त्याग,कर्म,निष्ठा की पावन भावना से मानव जीवन को सफल बनाना चाहिए | 
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