औरतो के लिये माता की उपासना - subh sanskar and sanskriti

Tuesday, January 2, 2018

औरतो के लिये माता की उपासना


पूजा और पाठ  का अर्थ है -ईश्वर को माता पिता मानकर उसका लाड़-दुलार और प्रेम-वात्सल्य प्राप्त करना | संसार में जितने भी सम्बन्ध है उन सब में माता का रिश्ता अधिक प्रेमपूर्ण और घनिष्ठ है | प्रभु को जिस दृष्टि से हम देखते हैं हमारी भावना के अनुरूप वैसे ही वे प्रत्युत्तर देती है जब ईश्वर की गोदी में जीव मातृ भावना के साथ चढ़ता है तो निश्चय ही उधर से वात्सलयपूर्ण उत्तर मिलता है 

  स्नेह,वात्सलय,करुणा,दया,ममता,उदारता,कोमलता आदि तत्व नारी मे नर की अपेक्षा स्वभावतः अधिक होते है | कन्या और पुत्र दोनों ही माता का प्राण-प्रिय संतान है | ईश्वर को नर नारी दोनों ही दुलारे है | कोई भी निष्पक्ष और न्यायशील माता - पिता अपने बालको में इसलिए भेद भाव नही करते कि वे कन्या है या पुत्र है | ईश्वर ने धार्मिक कर्तव्यों एवं आत्म-कल्याण के साधनो की नर और नारी दोनों ही सुविधा दी है | 


प्राचीनकाल में अनेक महिलाए उच्चकोटि की साधिकायें हुई हैं और उन्होने भगवान और देवी माँ की साधना की है | अध्यात्म कार्य में वे पुरुषो से कभी भी पीछे नही रही है |  इसमें कोई संदेह नही हैं कि महिलायें पूजा और पाठ के  द्वारा अपना,अपने परिवार का ,तथा समाज का कल्याण करने योग्य शक्ति अर्जित कर सकती है|





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