व्रत विषय एवं विकारों से निवृत्ति का सर्वश्रेस्ठ साधन है मन विभिन्न प्रकार की विषय वासनाओं से घिरा रहता है | ह्रदय में दुर्भावनाओं के मैल चढ़े होते हैं | शरीर हमेशा दुख से घिरा रहता है व्रत से इन सभी वृत्तियों का नाश होता है | शरीर मन एवं भावना व्रत के जल से धुलते है तथा पवित्र व पावन बनते है व्रत महत्वपूर्ण धार्मिक कृत्य के साथ साथ रोगनिवृक एवं शक्तिवर्धक साधन भी है |
इससे आतंरिक शुद्धि के प्रमुख तत्व की संज्ञा देनी चाहिये | यही कारण है कि अपनी संस्कृति एवं धर्म में इसका प्रमुख स्थान है | व्रत रखने के बिना अनुष्ठान करना इसके बिना अधूरे माना जाता है | नवरात्रि के नौ दिन कितने लोग आंशिक या पूरा व्रत रखते है तीज,करवाचौथ आदि अनेक त्योहारों में पूजा के पहले स्त्रियाँ व्रत रखती है |
व्रत का प्रचलन किसी न किसी रूप में हर धर्म में होता है जैसे - मिस्र में प्राचीनकाल में कई धार्मिक त्योहारों पर व्रत रखते है ,यहूदियों में अपने सातवें महीने के दसवे दिन व्रत रखने का विधान है | रोमन लोग ईस्टर के पहले तीन सप्ताहों में शनिवार और रविवार को छोड़कर अन्य दिनों में व्रत रखते हैं |
व्रत शारीरिक रोगों के निवारण तथा आत्मा की शुद्धता के लिये भी रखा जाता है | आयुर्वेद में इसे चिकित्सा का प्रमुख अंग माना गया है चीन तथा तिब्बत के प्राचीन चिकित्सा ग्रंथो में भी रोग से मुक्ति के लिये व्रत रखने का उल्लेख मिलता है इस प्रकार मानव सभ्यता के पहले चरण में जब औषधियों का अविष्कार नही हुआ था तो लोग रोग से मुक्ति के लिये यही एक मात्र साधन किया करते थे सचमुच ही स्वास्थ की दृष्टि से इसका असाधारण महत्व है रोगियों के लिये यह संजीवनी के समान है व्रत रखना आमाशय एवं आंत के रोगियों के लिये अत्यंत लाभकारी है |
व्रत की प्रक्रिया से केवल शारीरिक स्वास्थ सुधरता है ऐसी बात नही है मनोविकारों के शमन के लिये भी यह अत्यंत जरूरी है मनोविकार बड़े हठीले होते है क्योंकि इनकी जड़े मन की गहराइयों में होती है व्रत रखने से मनोविकार भी धीरे धीरे दूर हो जाता है | जिन्हे अनुभव है वे जानते है कि व्रत रखना कितना जरूरी है विशेष्ट समय में किये गये व्रत का परिणाम भी विशेष होता है |
- करवाचौथ का व्रत वैवाहिक प्रेम बढ़ाने वाला होता है |
- सोमवार में चन्द्रमा का विशेष प्रभाव रहता है इस दिन के व्रत से उज्जवल भविष्य अथवा मान प्रतिष्ठा मिलती है |
- मंगलवार व्रत रखने से दृढ़ता बढ़ती है |
- बुधवार को व्रत रखने से सौम्य एवं शिष्ट प्रधान होता है |
- गुरुवार का व्रत रखने से हृदय का परिष्कार एवं परिमार्जन होता है |
- शुक्रवार का व्रत हाव भाव प्रधान है |
- शनिवार का व्रत से स्थिरिता सुख एवं परिपुष्टि मिलती है
- रविवार के व्रत रखने से मन का परिवर्तन होता है |
व्रत हमेशा विधि विधान से ही रहे |