मनुष्य के जीवन में कुछ भी अच्छा हो या कुछ भी गलत हो हमेशा ही भाग्य की बात आती है हमेशा ही हम अपने दिनचर्या में भाग्य शब्द का उच्चारण करते है क्योंकि इस पृथ्वी पर मनुष्य के जन्म लेने से पहले ही उसका भाग्य लिख दिया जाता है कहते है स्वयं ब्रह्मा जी मनुष्यों का भाग्य लिखते है और अगर उन्होने एक बार आपका भाग्य लिख दिया तो स्वयं वो भी नही बदल सकते |
क्योंकि आज तक कोई भी ऐसा व्यक्ति नही है जो किसी का भाग्य बता सके कि उसकी आने वाली जिंदगी में कब क्या होगा, कैसे होगा और क्यों होगा मनुष्य सिर्फ इसकी कल्पना ही कर सकता है लेकिन अगर कोई ये कहे की मैं आप को आने वाले कल के बारे में या आपके भाग्य के बारे में सबकुछ बता सकता हूँ तो यह समझ से परे वाली बात होगी |
दोस्तों अब मैं आप को कहानी के माध्यम से ये बताऊंगा की भाग्य क्यों नही बताया जा सकता कृपया इस कहानी को ध्यान पूर्वक पढ़े और आप स्वयं ही समझने का प्रयत्न करे |
एक बार देव ऋषि नारद भ्रमण पर निकले थे और ब्रह्मा जी के पास घूमते घूमते जा पहुंचे उन्होने देखा की ब्रह्मा जी बहुत ही व्यस्त थे और मनुष्यों का भाग्य लिख रहे थे उन्होने ब्रह्मा जी से प्रश्न किया की वह देखना चाहते है भाग्य कैसे लिखा जाता है ब्रह्मा जी ने उन्हे भाग्य कैसे लिखा जाता है यह देखने से मना किया और कहा मैं भाग्य तो लिखता हूँ पर किसी को बता नही सकता |
क्योंकि भाग्य के बारे में पहले से बताने पर रोक है देव ऋषि ने पूछा ऐसा क्यों है ब्रह्मा जी ने उत्तर दिया अगर मैं किसी का भाग्य बता दू तो इसमे अनर्थ ही अनर्थ है | देव ऋषि ने पूछा क्या अनर्थ है उन्होने कहा अगर मैं किसी को अच्छा भाग्य के बारे में बता दू तो उसको कुछ भी पाने के लिये प्रयास नही करना पड़ेगा और वह अहंकारी बन जायेगा |
और यदि मैं किसी को उसके दुखी भाग्य के बारे में बता दू तो वह निराश हो जायेगा और कोई भी बड़ा काम करने की कोशिश नही करेगा दोनों ही प्रकार से मनुष्य को हानि होगी और संसार के नियम में बाधा पहुंचेगी इसीलिये भाग्य बताने पर रोक है और कोई भी किसी का भाग्य बता नही सकता चाहे स्वयं मै ही क्यों न हूँ और यह सुनकर देव ऋषि नारद वहा से चले गये |
अब आपको पता होगा दोस्तों कोई क्यों हमारा भाग्य नही बता सकता जब स्वयं ब्रह्मा जी हमारा भाग्य नही बता सकते तो और कोई क्या बतायेगा |