Mehanat aur Emaanadaree - मेहनत और ईमानदारी - subh sanskar and sanskriti
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Wednesday, February 7, 2018

Mehanat aur Emaanadaree - मेहनत और ईमानदारी


 एक बहुत बड़े व्यापारी थे जिनका नाम रामनाथ था वो लक्ष्मी माता के बड़े भक्त थे और हमेशा ही लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना में लगे रहते थे | रामनाथ की पूजा से लक्ष्मी माता भी प्रसन्न रहती थी जिससे रामनाथ के घर में किसी भी प्रकार की कमी नही थी और सब बड़ी ही सुख शांति के साथ चल रहा था |
एक दिन रामनाथ सो रहे थे और लक्ष्मी माता उनके सपने में आयी और उन्होने कहा रामनाथ अब तुम्हारे सारे पुण्य पूरे हो गये है इसलिये अब मैं तुम्हारे घर से जा रही हूँ यह सुनकर रामनाथ पूरे मन से लक्ष्मी माता से विनम्र निवेदन करने लगा लेकिन लक्ष्मी माता अब वहा रुकने के लिये तैयार नही हुई क्योंकि रामनाथ के सारे पुण्य जो पूरे हो गये थे |

जब रामनाथ को ये समझ में आया कि माता सचमुच ही नही रुकेगी तो उसने माता से एक प्रार्थना कि माता मैने आप की इतने दिनों तक पूजा अर्चना की हैं अब माता आप जा ही रही है तो इतनी सी कृपा कर दीजिये की हमारे परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर रहे चाहे हमे कितनी भी कठिनायी का सामना क्यों न करना पड़े और सभी कभी भी अपनी मेहनत और ईमानदारी न छोड़े |

लक्ष्मी माता ने रामनाथ की इस बात को मान लिया और ऐसा ही हो कहकर वहा से चली गयी अब सुबह हुई रामनाथ ने अपने परिवार के सभी सदस्यों को अपने पास बुलाया और सब को ये बात बतायी यह सुनकर सभी को बहुत ही चिंता हुई लेकिन कोई क्या कर सकता था अब रामनाथ के परिवार में गरीबी बढ़ती गयी पर परिवार के सभी सदस्य दुगनी हिम्मत के साथ कठिन दिनों का सामना करते रहे |

उनलोगों ने प्रेम और सहयोग में और भी अधिक बढ़ोतरी की और दिन भर कड़ी मेहनत करते रहे और नियत में कभी भी बेईमानी का प्रवेश नही होने दिया इस प्रकार कई वर्ष बीत गये और फिर एक रात लक्ष्मी माता रामनाथ के सपने में आयी और कहा तुम लोगो का आचरण देखकर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नही रहा और मैने निर्णय किया है कि मैं फिर से तुम्हारे घर में वापस आ रही हूँ |

कल से ही तुम्हारी गरीबी दूर हो जायेगी और जब सुबह हुई तो रामनाथ बहुत ही ख़ुशी मन से परिवार के सदस्यों को अपने सपने के बारे में बताया और कहा जिस परिवार में सभी सदस्यों का पूरा योगदान रहता है और अपनी मेहनत और ईमानदारी का समावेश रहता है उस घर में लक्ष्मी माता को आना ही पड़ता है | 
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